Saturday, May 31, 2025

स्वर्गाश्रम

गोमुख 
गंगा का स्रोत 
पृथ्वी का स्वर्ग है 

गंगोत्री
पावन है, पवित्र है 
मुक्ति का स्वरूप है 

स्वर्गाश्रम 
साधु संतों की भूमि
ध्यान, भक्ति का स्थल है 

गंगा का तट 
हिमालय की गोद 
यहाँ दिव्य कम्पन है 

गंगा में 
बहने वाले पत्थर 
यहाँ कविता सुनाता है 

इस दिब्य 
अनूठे स्वरुप को 
जो हृदयस्थ कर लेता है 

उसकी हर सांस से 
एक ही ध्वनि-प्रतिध्वनि
निकलती है 

जय गंगा मैया 
तेरी सदा जय हो
जय हो। 

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