Tuesday, June 14, 2022

मुझको याद सताये

आसमान में बिजुरी चमके 
गरजे बादल घोर,
याद तुम्हारी मुझे सताऐ 
तड़पे करती शोर। 

कामदेव धरती पर आया 
खींची पुष्प कमान, 
चारों ओर बसंत लहराया 
यादें हुई जवान। 

रिमझिम कर बरखा आई 
नील गगन को घेरा,
विरही गीत चातक ने गाया   
उदास हुवा मन मेरा। 

धानी चुनरियाँ धरा ने ओढ़ी
खिलने लगे पलाश,
कुहू तान कोकिल ने छेड़ी 
करती मुझे उदास। 

डाल - डाल पर झूले डाले 
सखियाँ कजरी गाये,
मोर-पपीहा छम छम नाचे 
मुझको याद सताये। 


Monday, June 13, 2022

आपसी शौहार्द और भाईचारा

नूपुर शर्मा ने 
पैगम्बर के बारे में  
कुरान में लिखी 
बात क्या कह दी 
भड़क उठे शोले 
चमचमाने लगी तलवारें 
रास्ते हो गए जाम 
फेंके जाने लगे पत्थर
जलने लगी गाड़ियां 
केंसिल हो गई ट्रेनें 
बंद हो गए हाइवे। 

दंगों की चपेट में आये 
राहगीर और आमजन
एम्बुलेंस में लेटे बीमार 
घायल हुए पुलिस कर्मी 
देश की जली सम्पति। 

उठने लगा शोर 
नूपुर शर्मा को 
पार्टी प्रवक्ता से हटाओ 
उसे पार्टी से निकालो 
उसे गिरफ्तार करो
उसका गला काट दो 
उसकी जीभ काट दो 
उसे फांसी की सजा दो। 

चारों ओर से 
मिलने लगी धमकियाँ 
देखते ही देखते 
खत्म हो गया आपसी 
शौहार्द और भाईचारा। 


Sunday, June 12, 2022

खिड़की पर खड़ी इन्तजार करती मेरी माँ।

शाम चार बजते ही रास्ते में देखती रहती माँ 
स्कूल से आने वाले बच्चों में ढूंढती रहती माँ 
जब तक मैं नहीं दिख जाता  खड़ी रहती माँ  
खिड़की पर खड़ी इन्तजार करती मेरी माँ। 

मेरे कपड़े सीधे कर बिस्तर निचे दबाती माँ 
मेरी किताबों को ठीक से थैले में सजाती माँ 
मेरे टिफिन बॉक्स में अचार- पूड़ी रखती माँ
खिड़की पर खड़ी इन्तजार करती मेरी माँ। 

रोज रात को सोते समय कहानी सुनाती माँ 
मेरे सोने पर प्यार से बालो को सहलाती माँ 
सुबह लौरी गाकर मुझे नींद से  जगाती माँ 
खिड़की पर खड़ी इन्तजार करती मेरी माँ। 

मेरे बीमार पड़ने पर देवता को मनाती माँ 
छींक आने पर रात-रात जागती रहती माँ 
मेरी सिसकी-हिचकी सुन दौड़ी आती माँ 
खिड़की पर खड़ी इन्तजार करती मेरी माँ।

मेरे सुख - दुःख का सदा ध्यान रखती माँ 
हर समय  अपनी बाहें  फैलाये रखती माँ 
मुझे अपने पास देख सदा मुस्कराती  माँ
खिड़की पर खड़ी इन्तजार करती मेरी माँ।  





 


Friday, June 10, 2022

अब प्यार की कस्ती सजा

बचपन सारा रीत गया 
यौवन साथ छोड़ गया
जीवन साथी संग बैठ कर 
अब प्यार की कस्ती सजा। 

ऑफिस कुर्सी छोड़ कर 
घर के सिंहासन पर बैठ 
लॉन में मधुर संगीत सुन 
अब दिल के शौक सजा। 

चुनौतियों का बीता दौर 
उपलब्धियों को याद कर
चाय की चुस्कियों के संग 
अब जीत का सेहरा सजा।

मन के झरोखे खोल कर 
बीते दिनों को याद कर 
नेह की शबनम चुरा कर 
अब अधूरे ख्वाब सजा। 

मधुमय है जीवन बेला 
मस्ती से मन को बहला
साँझ की शीतल हवा संग 
अब चैन की बंसी बजा।  

देश-विदेश भ्रमण कर
अरमानों को पूरा कर
चांदनी में संग बैठ कर 
अब जीवन में रंग सजा। 

हमसफ़र से बातें कर 
हसीन लम्हें याद कर 
प्रीत को फिर से गुदगुदा 
अब विजय उत्सव सजा। 










Monday, May 16, 2022

जल ही जीवन है

तब रेतीला पानी 
मुट्ठी से छितरा जाता था 
अब हमने बोतलों में बंद करना 
सीख लिया है। 

तब नदी समुद्र में जाकर 
अपना अस्तित्व खो देती थी 
अब हमने नहरें निकालना 
सीख लिया है। 

तब नदियों में बाढ़ का पानी 
तबाही मचा देता था 
अब हमने बाँध बनाना 
सीख लिया है। 

तब वर्षात का जल 
प्रदूषित हो कर बह जाता था 
अब हमने जल संरक्षण करना 
सीख लिया है। 

तब हम पानी के 
महत्त्व को नहीं समझते थे 
अब हमने इसके महत्त्व को 
समझ लिया है। 





मेरे श्वासों की सरगम पर

मेरे श्वासों की सरगम पर 
राग बसंती गाती हो, 
जीवन के टूटे तारों पर 
गूंज बने लहराती हो। 

मेरी यादों में बस कर 
सम्बल मेरा बनती हो,  
मेरे सपनों में आकर
अधरों से प्यार बहाती हो। 

सौलह श्रृंगार सजा कर 
नवकुसुम सी खिलती हो,
ख्वाबों में मेरे आकर 
मुझ से प्यार जताती हो। 

अँधियारी सूनी रातों में 
स्मृति दीप जलाती हो,
मेरे मन की पीड़ा पर 
बादल बन छितराती हो। 

सर्द सुबह धुंध में लिपटी 
गर्म अहसास कराती हो, 
जीवन की सूनी राहों में 
खुशियाँ तुम बरसाती हो। 




Sunday, May 8, 2022

सरगोशियाँ करने को हवाएं आती है

सरगोशियाँ करने को हवाएं आती है, 
खुद बैठ कर परिवार तोड़ जाती है। 

जो अपने रिश्तों को निभा सकते नहीं 
वो दूसरों को रिश्ता निभाने देते नहीं। 

किसी का परिवार टूटता है टूटता रहे, 
वो तो अपना स्वार्थ साधने में लगे रहे। 

अपने ही जब तोड़ने लगे तो क्या करें,
अपनों की शिकायत भी किससे करें।  

दिल में रहने वाले ही दिल तोड़ देते हैं,
भरोसे की आस्था को झकझोर देते हैं। 

मैं आँखों के अश्क खुद पोंछ लेता हूँ 
चुप रह कर सिसकियाँ  रोक लेता हूँ।