Tuesday, September 2, 2025

अब जीवन में ख़ुशी नहीं

आँगन सुना,चौबारा सुना 
बिना तुम्हारे यह घर सुना, 
मन सूना और आँखें सूनी 
मेरा  जीवन  दर्पण सूना। 

जब से तुम बिछुड़ी मुझसे 
दर्द मेरा हमराज बन गया, 
सपनों का संसार खो गया 
सारा सुख नीलाम हो गया। 

कुम्हला गये अरमान मेरे 
जीवन सारा पतझड़ बना,
बिना तुम्हारे मेरा  जीवन 
वीरान एक खँडहर बना।

अब तो केवल स्मृती बची 
फिर मिलने कीआस नहीं,
आँखों में हैं अविरल अश्रु 
अब जीवन में ख़ुशी नहीं।













Monday, August 25, 2025

प्यार का दीप जला कर चलो

प्यार का दीप जला कर चलो
तम दिशाओं का धूल जायेगा, 
स्नेह का सफर बना कर चलो 
जीवन पथ सहज बन जायेगा।

रंग-रूप का घमण्ड मत करो
कंचन - काया धूल हो जाएगी, 
सच्चे कर्मों की  जोत जलाओ
जीवन सफर में काम आएगी।

प्यार और स्नेह को बाँटते रहो 
दुख -दर्द सारा मिटता जायेगा,
त्याग की गंगा सदा बहाते रहो
हर दिल फूल बनता  जायेगा।

मन को निर्मल सरोवर बनाओ 
लोभ का मैल सब धुल जायेगा,
भक्ति का दीप जला कर चलो
अन्धकार मिटता चला जायेगा। 

Wednesday, August 13, 2025

युद्धों को रोकना होगा

बहुमंजिले अपार्टमेंट
बड़े-बड़े मल्टीप्लेक्स 
आवासीय कॉलोनियाँ और
बड़े-बड़े भवनों का निर्माण 
निरंतर होता जा रहा है। 

नगर और शहर
कंक्रीट के जंगल 
बनते जा रहे हैं। 
हरे-भरे पेड़-पौधे
हजारों की तादाद में 
प्रतिदिन कटते जा रहे हैं। 

पेट्रोल - डीज़ल चलित
वाहन और घरों में लगे
 ऐ. सी. और फ्रिज 
दिन-रात जहरीली गैसे
उगल रहे हैं। 

टैंकों, लड़ाकू विमानों
जहाज़ों और हथियार 
उत्पादन करने वाले देश 
भारी मात्रा में निरंतर 
जीवाश्म ईंधन जला रहे हैं।  

युद्धों के दौरान
आगजनी और बमबारी से
काला कार्बन और
ग्रीनहाउस गैसों का
भारी मात्रा में
उत्सर्जन हो रहा है।

उद्योग और ऊर्जा के
बुनियादी ढांचे के
नष्ट होने से वातावरण में
बड़ी मात्रा में मीथेन और
कार्बन डाइऑक्साइड
उत्सर्जित हो रही है।

ग्लेशियरों का पिघलना 
बाढ़ों का आना 
बादल का फटना 
भूस्खलन का होना 
पहाड़ का टूटना 
पानी और हवा का 
प्रदूषित होना 
सब इन्ही कारणों से 
हो रहा है।  
 
यदि मानव जीवन को 
बचाना है तो हमें 
पर्यायवरण को 
बचाना होगा, 
युद्धों को रोकना होगा, 
परमाणु आयुधों को 
ख़त्म करना होगा,
तभी मानव जीवन 
सुरक्षित रहेगा।  


Thursday, August 7, 2025

किसने सोचा ऐसा होगा

किसने सोचा 
ऐसा होगा। 

बादल फूटे 
पहाड़ टूटे 
रेला आया 
इतना कस के, 
सभी रह गए 
उसमें फँस के। 

अब न जाने 
क्या होगा, 
किसने सोचा 
ऐसा होगा। 

घर बहे 
होटल बहे 
चारो ओर 
तबाही छाई,
जन-धन की 
बर्बादी आई। 

सोचने का 
समय न होगा 
किसने सोचा 
ऐसा होगा। 

कहीं चीखें 
कहीं क्रंदन 
जीवन की धुन 
थम गई,
गांव की रौनक 
मिट गई।

धराली गांव 
बर्बाद होगा, 
किसने सोचा 
ऐसा होगा। 








Sunday, July 13, 2025

मणिचक्र घुमाने दो

शी जिनपिंग 
चीन के महामहिम !

तुमने लाखों 
तिब्बती बच्चो को 
परिवार से अलग कर 
छात्रावासों में 
बंधक बना दिया। 

तुम तिब्बत की 
हजारों वर्ष पुरानी 
संस्कृति को 
मिटाना चाहते हो। 

उन बच्चों को  
चीनी भाषा और 
चीनी रीति रिवाज़ 
सीखाना चाहते हो। 

इससे क्या मिलेगा 
शी जिनपिंग तुम्हें ?

चंद सांसों की जिन्दगी 
लेकर आये हो,
एक दिन सब कुछ 
छोड़ चले जाओगे। 

क्यों लाखों माँओं से 
उनके प्यारे बच्चोंको 
अलग कर रहे हो ?

क्यों उनके धर्म और 
संस्कृति को 
मिटाने पर तुले हो।  

सब को शान्ति से जीने दो
सबको अपने धर्म का 
पालन करने दो। 
 
तुम अपने देश में 
चैन की बंशी बजाओ 
उनको अपने देश में 
मणिचक्र घुमाने दो। 












Saturday, July 12, 2025

समय बदल रहा है


समय बदल रहा है--
अब लाल बत्ती पर
नहीं आता कोई बच्चा
शीशा पोंछने,
या कुछ सिक्कों के लिए
हाथ फैलाने।

समय बदल रहा है --
अब नहीं दिखती
कमज़ोर माँ
गोद में दूधमुँहा बच्चा लिए,
लाचार होकर
भीख माँगती।

समय बदल रहा है --
अब नहीं मिलता
काला-कलूटा
दुर्बल सा बच्चा,
दो रोटी के लिए
मिन्नतें करता।

समय बदल रहा है --
अब नहीं दिखता
कूड़े के ढेर पर बैठा
कचरा बीनता,
वह मासूम
भूख से तड़पता।


माध्यम

प्रसिद्धि आती है 
भाषा के साथ 
शब्दों के माध्यम से। 

प्रेम आता है 
निःशब्द 
आँखों के माध्यम से। 

भाषा सुन 
आँखें होती चकित, 
आँखों की भाषा से 
मन होता चकित।