Wednesday, October 15, 2025

विश्व गुरु कहलायेगा

क्या रसखान सूर तुलसी 
का जमाना फिर आयेगा, 
क्या भय से पथराया जग 
फिर से प्रेम गीत गायेगा ?

क्या नफरत के समाज में 
फिर से भाईचारा आयेगा,
ढाई आखर प्रेम का बोल 
फिर से समाज में गूँजेगा। 

क्या मीरा का भक्ति-प्रेम 
तुलसी की चौपाई राजेगी,
हिंसा-घृणा की दीवार टूट 
जीवन की गरिमा गाजेगी। 

क्या सत्य अहिंसा का पथ
फिर से जीवन राह बनेगा,
मेरा प्यारा भारत फिर से
विश्व गुरु कहलायेगा। 🌼













Wednesday, September 24, 2025

बिना राग का गीत बन गया

स्वप्न संजोती हँसी तुम्हारी 
स्मृति दंश बनी जीवन का,
आज बरसने को आतुर है 
रुँधा बादल मेरे नयन का। 

तुम बिन लगती सांस अधूरी
जीवन तुम बिन सूना लगता, 
अश्रु बन बहे नयन की धारा
दर्द भरी  कवितायें लिखता।

मेरे जीवन का सावन बीता 
स्वाद सुखों के हुए  कषैले,
राहसफर में साथ जो छूटा 
ख्वाब रह गए मेरे अकेले। 

जीवन का सपना मुरझाया 
हर पथ अब वीरान हो गया, 
बिना हमसफ़र जीवन मेरा 
बिना राग का गीत बन गया।



Thursday, September 18, 2025

कश्मीर की वादियाँ

बर्फीली वादियां 
बारूद से 
दहल गई।  

पर्यटकों की 
किलकारियाँ
चीखों में बदल गईं।

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आतंकवाद के 
कहर में 
मानवता काँप उठी,

डल झील में  
चिनार की 
पत्तियाँ कहरा उठी।

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हँसता हुवा जीवन 
सिसकियों में
डूब गया,

मांग का सिंदूर 
एक पल में 
लूट गया ।

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फूलों की घाटी
आज काँटे सी
चुभ रही,

बारूदी गंध आज 
पोर-पोर में 
टीस रही । 

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Saturday, September 13, 2025

बंजारा जीवन

कोलकाता 
बड़ा शहर है, 
सोच कर 
यहाँ बस गया, 
उम्र थी कच्ची। 

अब 
बुढ़ापे में 
समझ आया, 
गांव की 
जमीं थी अच्छी।  

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उम्र हुई, 
बचपन के 
दोस्तों से मिले।

किसे सुनाए 
जीवन के 
शिकवे और गिले। 

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बेर, कैरिया 
तरबूज, काकड़ी 
सब के संग 
गुजरा है बचपन,

मिटटी 
से जुड़ा ही 
समझ सकता है 
इनका रसीलापन। 
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पौधे की भाषा 
केवल मिटटी 
समझती है,

प्रतीक्षा की आहट 
केवल चौखट 
समझती है। 

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मौसम की 
मनमानी पर 
हम जीते हैं, 

सवेरा 
घर भर सुहाना 
और शाम ढले 
छाया से रीते हैं।
 














Tuesday, September 2, 2025

अब जीवन में ख़ुशी नहीं

आँगन सुना,चौबारा सुना 
बिना तुम्हारे यह घर सुना, 
मन सूना और आँखें सूनी 
मेरा  जीवन  दर्पण सूना। 

जब से तुम बिछुड़ी मुझसे 
दर्द मेरा हमराज बन गया, 
सपनों का संसार खो गया 
सुख सारा नीलाम हो गया। 

कुम्हला गये अरमान मेरे 
जीवन सारा पतझड़ बना,
बिना तुम्हारे मेरा  जीवन 
वीरान एक खँडहर बना।

अब तो केवल स्मृती बची 
फिर मिलने कीआस नहीं,
आँखों में हैं अविरल अश्रु 
अब जीवन में ख़ुशी नहीं।













Monday, August 25, 2025

प्यार का दीप जला कर चलो

प्यार का दीप जला कर चलो
तम दिशाओं का धूल जायेगा, 
स्नेह का सफर बना कर चलो 
जीवन पथ सहज बन जायेगा।

रंग-रूप का घमण्ड मत करो
कंचन - काया धूल हो जाएगी, 
सच्चे कर्मों की  जोत जलाओ
जीवन सफर में काम आएगी।

प्यार और स्नेह को बाँटते रहो 
दुख -दर्द सारा मिटता जायेगा,
त्याग की गंगा सदा बहाते रहो
हर दिल फूल बनता  जायेगा।

मन को निर्मल सरोवर बनाओ 
लोभ का मैल सब धुल जायेगा,
भक्ति का दीप जला कर चलो
अन्धकार मिटता चला जायेगा। 

Wednesday, August 13, 2025

युद्धों को रोकना होगा

बहुमंजिले अपार्टमेंट
बड़े-बड़े मल्टीप्लेक्स 
आवासीय कॉलोनियाँ और
बड़े-बड़े भवनों का निर्माण 
निरंतर होता जा रहा है। 

नगर और शहर
कंक्रीट के जंगल 
बनते जा रहे हैं। 
हरे-भरे पेड़-पौधे
हजारों की तादाद में 
प्रतिदिन कटते जा रहे हैं। 

पेट्रोल - डीज़ल चलित
वाहन और घरों में लगे
 ऐ. सी. और फ्रिज 
दिन-रात जहरीली गैसे
उगल रहे हैं। 

टैंकों, लड़ाकू विमानों
जहाज़ों और हथियार 
उत्पादन करने वाले देश 
भारी मात्रा में निरंतर 
जीवाश्म ईंधन जला रहे हैं।  

युद्धों के दौरान
आगजनी और बमबारी से
काला कार्बन और
ग्रीनहाउस गैसों का
भारी मात्रा में
उत्सर्जन हो रहा है।

उद्योग और ऊर्जा के
बुनियादी ढांचे के
नष्ट होने से वातावरण में
बड़ी मात्रा में मीथेन और
कार्बन डाइऑक्साइड
उत्सर्जित हो रही है।

ग्लेशियरों का पिघलना 
बाढ़ों का आना 
बादल का फटना 
भूस्खलन का होना 
पहाड़ का टूटना 
पानी और हवा का 
प्रदूषित होना 
सब इन्ही कारणों से 
हो रहा है।  
 
यदि मानव जीवन को 
बचाना है तो हमें 
पर्यायवरण को 
बचाना होगा, 
युद्धों को रोकना होगा, 
परमाणु आयुधों को 
ख़त्म करना होगा,
तभी मानव जीवन 
सुरक्षित रहेगा।