Thursday, August 7, 2025

किसने सोचा ऐसा भी होगा

किसने सोचा 
ऐसा भी होगा। 

बादल फूटे 
पहाड़ टूटे 
रेला आया 
इतना कस के, 
सभी रह गए 
इसमें फँस के। 

अब न जाने 
क्या होगा, 
किसने सोचा 
ऐसा भी होगा। 

घर बहे 
होटल बहे 
चारो ओर 
तबाही हुई,
जन-धन की 
बर्बादी हुई। 

सोचने का 
समय न होगा 
किसने सोचा 
ऐसा भी होगा। 

कहीं चीखें 
कहीं क्रंदन 
जो बचे थे 
सब खो चुके, 
आँखों से आँसू
सुख चुके। 

धराली गांव 
बर्बाद होगा, 
किसने सोचा 
ऐसा भी होगा। 








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