तुम पर कोई गीत बनाऊं
यादों के कुछ मोती चुनकर
उसकी माला तुझे पिन्हाऊं
मेरे सुख-दुःख की साथी तुम
मेरे जीवन की सरगम हो
सांसो में फूलों की खुशबू
मेरे मन की राधा हो
मेरी सभी सफलताओं पर
हर प्रयास तुम्हारा है
सागर और घटाओं जैसा
हम दोनों का नाता है
हम दोनों का नाता है
सौ जन्मों का साथ हमारा
कैसे सब मैं लिख पाऊँगा
अनगिनत उपकार तुम्हारे
इतने शब्द कहाँ पाउँगा
सामर्थ्य नहीं हैं मेरे में
तुम पर कोई गीत बनाऊँ
इतनी इच्छा है बस मेरी
भावों के कुछ फूल सजाऊँ।
कोलकत्ता
२ मार्च, २०११
यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
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