अँखियां ढूंढें
तुमको चहुँ ओर
सजनी आओ।
तुम्हें पुकारा
आवाज लौट आईतुम न आई।
तुम्हें बुलाने
कहाँ भेजु सन्देश
बताओ मुझे।सर्द ठंडी रातों में
आ जाओ अब।
ढूंढ रही है
मेरी कविता तुम्हें
कहाँ हो तुम।
ठहर गई
मेरी जिंदगी आज
तेरे जाने से।
तुम्हें खो कर
अपना सुख चैन
खो बैठा हूँ मैं।
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 04 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteबढ़िया हाइकु
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