Wednesday, January 18, 2017

कथनी और करनी

मैं पढ़ता रहा
समाजवाद, मार्क्सवाद
और प्रजातंत्रवाद पर लिखी पुस्तकें
और तुम खिलाती रही भिखारियों को,
गायों को और कुतो को रोज रोटी।

मैं सुनता रहा पर्यावरण पर
लंबे-चौड़े भाषण और
तुम पिलाती रही तुलसी को
बड़ को और पीपल को रोज पानी।

मैं चर्चाएं करता रहा
टालस्टाय, रस्किन और
गाँधी के श्रम की महता पर
और तुम करती रही सुबह से
शाम तक घर का सारा काम।

मैं सेमिनारों में सुनाता रहा
पशु-पक्षियों के अधिकारों के बारे में
और तुम रोज सवेरे छत पर
देती रही कबूतरों को, चिड़ियों को
और मोरो को दाना-पानी।

मैं सुनता रहा
उपदेशो और भाषणों को
और तुम रोज पढ़ाती रही
निर्धन बच्चों को
देती रही उन्हें खाना
कपड़े और दवाइयाँ।

तुमने मुझे दिखा दिया
दुनिया कथनी से नहीं
करनी से बदलती है।

काम कर्मठ हाथ करते हैं
थोथले विचारों से
दुनिया नहीं बदलती है।


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