जब भी आकाश से
बरसती है रिमझिम बूँदें
मुझे याद आती है तुम्हारे
गेसुओं से टपकती बूँदें
मैं अक्सर खड़ा हो जाता हूँ
खिड़की खोल कर
देर तक खड़ा रहता हूँ
यादों की चादर ओढ़ कर
ऐसे बदलते मौसम में
बहुत याद आती है तुम्हारी
हवा की छोटी सी दस्तक भी
आहट लगती है तुम्हारी
बहुत सारे महीने और वर्ष
बित गए तुमसे बिछड़े
लेकिन तुम्हारा इन्तजार और
यादें आज तक नहीं बिछड़े
तुम्हारे विरह के दर्द में
आज भी लम्बी आहें भरता हूँ
हर सांस के संग
तुम्हें याद करता हूँ
तुम्हारी सूरत आँखों से
नहीं निकल पाती है
जितना भी भुलना चाहता हूँ
उतनी याद अधिक आती है।
फ्रेम में जड़ी तुम्हारी
तस्वीर देख कर सोचता हूँ
बह रही होगी मन में
बरसती है रिमझिम बूँदें
मुझे याद आती है तुम्हारे
गेसुओं से टपकती बूँदें
मैं अक्सर खड़ा हो जाता हूँ
खिड़की खोल कर
देर तक खड़ा रहता हूँ
यादों की चादर ओढ़ कर
ऐसे बदलते मौसम में
बहुत याद आती है तुम्हारी
हवा की छोटी सी दस्तक भी
आहट लगती है तुम्हारी
बहुत सारे महीने और वर्ष
बित गए तुमसे बिछड़े
लेकिन तुम्हारा इन्तजार और
यादें आज तक नहीं बिछड़े
तुम्हारे विरह के दर्द में
आज भी लम्बी आहें भरता हूँ
हर सांस के संग
तुम्हें याद करता हूँ
तुम्हारी सूरत आँखों से
नहीं निकल पाती है
जितना भी भुलना चाहता हूँ
उतनी याद अधिक आती है।
फ्रेम में जड़ी तुम्हारी
तस्वीर देख कर सोचता हूँ
आज भी दमक रही होगी
तुम्हारे भाल पर लाल बिंदिया
कन्धों पर लहरा रहे होंगे
सुनहरे रेशमी बाल
चहरे पर फूट रहा होगा
हँसी का झरना
चमक रही होगी मद भरी आँखें
चमक रही होगी मद भरी आँखें
झेंप रही होगी थोड़ी सी पलकें
देह से फुट रही होगी
संदली सौरभ
बह रही होगी मन में
मिलन की उमंग
बौरा रही होगी प्रीत चितवन
गूंज रहा होगा रोम-रोम में
प्यार का अनहद नाद
मेरे मन में आज भी
थिरकती है तुम्हारी यादें
महसूस करता हूँ
तुम्हारी खुशबु को
तुम्हारे अहसास को।
फ्रेम में जड़ी तुम्हारी
तस्वीर देख कर सोचता हूँ
बह रही होगी मन में
प्यार का अनहद नाद
मेरे मन में आज भी
थिरकती है तुम्हारी यादें
महसूस करता हूँ
तुम्हारी खुशबु को
तुम्हारे अहसास को।
फ्रेम में जड़ी तुम्हारी
तस्वीर देख कर सोचता हूँ
आज भी दमक रही होगी
तुम्हारे भाल पर लाल बिंदिया
कन्धों पर लहरा रहे होंगे
सुनहरे रेशमी बाल
चहरे पर फूट रहा होगा
हँसी का झरना
चमक रही होगी मद भरी आँखें
चमक रही होगी मद भरी आँखें
झेंप रही होगी थोड़ी सी पलकें
देह से फुट रही होगी
संदली सौरभ
बह रही होगी मन में
मिलन की उमंग
बौरा रही होगी प्रीत चितवन
गूंज रहा होगा रोम-रोम में
प्यार का अनहद नाद
मेरे मन में आज भी
थिरकती है तुम्हारी यादें
महसूस करता हूँ
तुम्हारी खुशबु को
तुम्हारे अहसास को।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" में प्रकाशित हो गई है ]
प्यार का अनहद नाद
मेरे मन में आज भी
थिरकती है तुम्हारी यादें
महसूस करता हूँ
तुम्हारी खुशबु को
तुम्हारे अहसास को।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" में प्रकाशित हो गई है ]
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