धरती का स्वर्ग कश्मीर, माने सारा जहाँ
अमरनाथ ओ वैष्णो देवी, दर्शन होते यहाँ।
सोनमर्ग,गुलमर्ग देखने, सैलानी आते यहाँ
मन प्रफुलित हो जाता,देख के नज़ारे यहाँ।
ठंडी-ठंडी हवा बहे, केशर के हैं खेत यहाँ
शालीमार, निशात जैसे, फूलों के बाग़ यहाँ।
अखरोट, सेव, चैरी, ताजे फल मिलते यहाँ
झेलम,चिनाब,इंडस, नदियाँ सदा बहे यहाँ।
पाईन, देवदार, चिनार, पेड़ों की शोभा यहाँ
खूबसूरत पहाड़ियों में, हसीन वादियाँ यहाँ।
केशर, जाफरान,ट्यूलिप, सभी होते हैं यहाँ
पश्मीना, रेशम यहाँ का, पसंद करती जहाँ।
मन भावन सुन्दर शिकारे, झीलों में तैरते यहाँ
झेलम के हाउस बोटों में, फ़रिश्ते बसते यहाँ।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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