घणी फूठरी ही जसोदा बैन
अड़ोस- पड़ोस हाळा केंवता
छोरी ने घर स्यूं बारै
मत काढ्या करो
नजर लाग ज्यावेळी
नजर लाग ज्यावेळी
दो बरस री कौनी हुई
बडोड़ी माता निकली
ळैगी माता मावड़ी
जे रेंवती
तो दोन्यूं भाई-बैन
सागै खेलता
तो दोन्यूं भाई-बैन
सागै खेलता
अर करता धूमस
कदैई रूंठ ज्यांवता
कदैई मनांवता
बडी हुंवती
जणा करता ब्याव
सासरे जांवती जणा
सासरे जांवती जणा
जांवतो पुगावण ने
पण हुणी ने
कुण टाळ सकै है
आज आवै है याद
ओळूं में बैव आंसूड़ा
जसोदा बैन आ सकै तो
एक बार पाछी आज्या
एक बार पाछी आज्या
खेळा सागै भाई-बैन
करा थोड़ी रमझोल।
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