किसी को देने के लिए केवल
धनवान होना जरुरी नहीं है,
तन - मन से किया गया
दान भी कम श्रेष्ट नहीं है।
आप किसी बेसहारा का
सहारा बन सकते हैं,
किसी निराश व्यक्ति का
उत्साह बढ़ा सकते हैं।
आप किसी भूखे को
भोजन करा सकते हैं,
किसी प्यासे को पानी
पीला सकते हैं।
आप किसी अनपढ़ को
पढ़ने में मदद कर सकते हैं,
किसी वृद्ध का हाथ पकड़
उसे घर तक छोड़ सकते हैं।
आप पुरानी पुस्तकें, कपडे
जरुरत मंदों को दे सकते हैं,
रक्तदान करके किसी का
जीवन बचा सकते हैं।
आप किसी बीमार को
अस्पताल पहुँचा सकते हैं,
किसी आश्रम में अपनी
सेवा दे सकते हैं।
आप राह चलते किसी को
मुस्कराहट दे सकते हैं,
किसी को आभार प्रकट कर
खुश कर सकते हैं।
अपने आस-पास देखिए
अथाह राहें इन्तजार में हैं,
आपको केवल अपनी सोच
बदलने की जरुरत है।
( यह कविता स्मृति मेघ में प्रकाशित हो गई है। )
सच में !
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