बेटे का भविष्य संवारने
बाप सब कुछ करता है,
जलती धूप ओढ़कर भी
बेटे को छाया करता है।
दिन-रात मेहनत करके
बेटे का पालन करता है,
अपने सुख को भूल कर
बेटे को खुशियां देता है।
बेटे को पढ़ा-लिखा कर
उसको योग्य बनाता है,
घर, जमीन, जायदाद
सब बेटे को दे देता है।
मगर बेटा बाप बनते ही
बाप को भूल जाता है,
अपने कड़वे बोलो से
बाप को आहत करता है।
लाचार बाप बेबस होकर
अपना भाग्य कोसता है,
बेटे के जुबान खंजर से
आँखों से अश्रु बहाता है।