Thursday, February 29, 2024

पिता की व्यथा

बेटे का भविष्य संवारने 
बाप सब कुछ करता है, 
जलती धूप ओढ़कर भी 
बेटे को छाया करता है। 

दिन-रात मेहनत करके 
बेटे का पालन करता है,
अपने सुख को भूल कर 
बेटे को खुशियां देता है। 

बेटे को पढ़ा-लिखा कर 
उसको योग्य बनाता है,
घर, जमीन, जायदाद 
सब बेटे को दे देता है। 

मगर बेटा बाप बनते ही 
बाप को भूल जाता है,
अपने कड़वे बोलो से 
बाप को आहत करता है। 

लाचार बाप बेबस होकर 
अपना भाग्य कोसता है, 
बेटे के जुबान खंजर से 
आँखों से अश्रु बहाता है। 




Monday, February 5, 2024

झूठ का बोलबाला

सदा सत्य मैं बोलता, कहता रहता  रोज, 
कितना झूठ बोलना, करता रहता खोज।  

सत्य तो अब रहा नहीं, चला गया है रूठ, 
यदि बोले कोई सत्य तो, मानो उसको झूठ।  

सतयुग के संग सत्य गया, जैसे था मेहमान, 
कलयुग में अब हो रहा,  झूठों का सम्मान। 

जीवन जीना होता कठिन, अगर न होता झूठ 
आपस में होती कलह, सब में पड़ती फुट। 

सत्य जेल में बंद हुवा, झठा करता मौज,  
जो जितना झूठ कहे, उसकी ऊँची औज ।