Monday, February 5, 2024

झूठ का बोलबाला

सदा सत्य मैं बोलता, कहता रहता  रोज, 
कितना झूठ बोलना, करता रहता खोज।  

सत्य तो अब रहा नहीं, चला गया है रूठ, 
यदि बोले कोई सत्य तो, मानो उसको झूठ।  

सतयुग के संग सत्य गया, जैसे था मेहमान, 
कलयुग में अब हो रहा,  झूठों का सम्मान। 

जीवन जीना होता कठिन, अगर न होता झूठ 
आपस में होती कलह, सब में पड़ती फुट। 

सत्य जेल में बंद हुवा, झठा करता मौज,  
जो जितना झूठ कहे, उसकी ऊँची औज । 



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