Sunday, February 18, 2024

हरियाली छाई धरती पर

हरियाली छाई धरती पर
शीतल समीर बही सरसर,
महक उठी सारी अमराई
कूकी कोयल पेड़ों पर।

वन-उपवन फूल खिले
पगलाया हरसिंगार,
आम्र मंजरियाँ लगी पुलकने
झूम उठा फिर से कचनार।

तितली-भृंग लगे बहकने 
खिलने लगे फूल पलाश, 
अमलतास हँसने लगा 
उड़ी पतंग आकाश। 

पंख कल्पना को लगे
बिरहा जिया जलाय,
पीहू-पीहू बोले पपीहारा
गौरी का मन सुलगाय।







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