बचपन में भोली भाली थी
गोदी में खेला करती थी
उस गोदी को सुनी करके
नई राह पर चली लाडली।
रुनझुन वाला आँगन छोड़ा
पूजा राणा नाम भी छोड़ा
यादों भरा पिटारा लेकर
नई राह पर चली लाडली।
मन में खुशियाँ को भर कर
श्वांसों में मधुर मिलन लेकर
आशाओं के दीप जला कर
नई राह पर चली लाडली।
सपनों का एक नीड़ सजाने
प्यार भरा एक जीवन जीने
खुशियों का संसार बसाने
नई राह पर चली लाडली।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 06 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
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