स्वप्न संजोती हँसी तुम्हारी
स्मृति दंश बनी जीवन का,
आज बरसने को आतुर है
रुँधा बादल मेरे नयन का।
तुम बिन लगती सांस अधूरी
जीवन तुम बिन सूना लगता,
अश्रु बन बहे नयन की धारा
दर्द भरी कवितायें लिखता।
मेरे जीवन का सावन बीता
स्वाद सुखों के हुए कषैले,
राहसफर में साथ जो छूटा
ख्वाब रह गए मेरे अकेले।
जीवन का सपना मुरझाया
हर पथ अब वीरान हो गया,
बिना हमसफ़र जीवन मेरा
बिना राग का गीत बन गया।
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