Monday, November 10, 2025

मैं खुशियों भरा जीवन जी रहा हूँ।

जीवन राह पर चलते-चलते 
मैं पगडंडी पर आ गया हूँ 
अब मेरे आस-पास 
कोई जंगल 
गीत नहीं गुनगुना रहा  
कोई पहाड़ हँस नहीं रहा 
कोई नदी 
अमृत नहीं छलका रही 
कोई फूल 
मुस्कुरा नहीं रहा।    

फिर भी मैं 
हँसता, मुस्कुराता 
प्यार के गीत गुनगुनाता  
पगडंडी पर बढ़ता जा रहा हूँ। 

शहदिली मुस्कान के संग 
उदासी का उपहास उड़ाता हुआ 
मैं खुशियों भरा जीवन जी रहा हूँ। 


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