Sunday, November 16, 2025

ऐसा प्यारा अपना घर हो

लिपा-पुता जहाँ आँगन हो, 
तुलसी का पावन बिरवा हो, 
बच्चो का शोर- शराबा हो,
पायल छम-छम बजती हो, 
ऐसा प्यारा अपना घर हो।  

हर कोना उपवन जैसा हो,
चिड़ियों का मधुर बसेरा हो,
पगुराती गायें-बछरियाँ हों,
माँओं की गोद में बच्चे हो, 
ऐसा प्यारा अपना घर हो। 

आस-पास जहाँ अपने हों, 
आँखों में सुख के सपने हों, 
जहाँ प्रेम की गंगा बहती हो,
खुशियों के नित उत्सव हो, 
ऐसा प्यारा अपना घर हो। 

साँझ ढले सब संग-संग हो, 
बिरवे पर दीपक जलता हो,
भजन-आरती प्रभु वंदन हो,
हर मन में प्रेम की गंगा हो, 
ऐसा प्यारा अपना घर हो।  






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