लिपा-पुता जहाँ आँगन हो,
तुलसी का प्यारा बिरवा हो,
बच्चो का शोर शराबा हो,
पायल छम-छम बजती हो,
सपनों सा प्यारा मेरा घर हो।
हरी-भरी जहाँ खेती हो,
चिड़ियों का मधुर बसेरा हो,
पगुराती गायें-बछरियाँ हों,
गोदी में बच्चे मुस्काते हों,
सुख से महका मेरा घर हो।
आस-पास जहाँ अपने हों,
स्नेह की धारा बहती हो,
आँखों में सुख के सपने हों,
खुशियों के नित उत्सव हों,
प्रेम से पुष्पित मेरा घर हो।साँझ ढले सब संग-संग हो,
बिरवा पर दीपक जलता हो,
भजन-आरती प्रभु वंदन हो,
हर मन में प्रेम की गंगा हो,
श्रद्धा से उज्ज्वल मेरा घर हो।
No comments:
Post a Comment