इतिहास का अन्तिम अध्याय
कभी नही लिखा जाता है
यह तो हर पीढ़ी दर पीढ़ी
पुस्त दर पुस्त लिखा जाता है
हर बार मरे हुओं को जीवितों की
अदालत में पेश किया जाता है
कभी फूलों की माला तो कभी
काँटों का ताज पहनाया जाता है
हर सदी में कोई अच्छा तो
कोई बुरा काम होता है
राम के साथ रावण का
इतिहास भी लिखा जाता है
इतिहास के पन्नों में यही सब
जुड़ता चला जाता है
इतिहास का अन्तिम अध्याय
कभी नही लिखा जाता है।
कोलकत्ता
१७ फ़रवरी २००९
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
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