सगळा रौ शिरमौर म्हारो धौरावाळो देस जी
सालासर मे बालाजी रो मेळो लागै भारी जी
खाटूवाला श्याम धणी ने सारी दुनिया ध्यावै जी
मेहंदीपुर रे बालाजी रे जात झङूला लागै जी
रामापीर ने रामदेवरा सगली जातां धौके जी
सगळारौ शिरमौर म्हारो धौरावाळो देस जी।
श्रीनाथ में गोविन्दजी रे छप्पन भोग लगावै जी
झुंझुनू में राणी सती रे चून्दङ भक्त चढ़ावै जी
रणकपुर में जैनमंदिर री शोभा अति विशाल जी
देशनोक में करनी माँ रा दर्शन प्यारा लागै जी
सगळारौ शिरमौर म्हारो धौरावाळो देस जी।
हवामहल ओ जंतर- मंतर जयगढ़ किला जयपुर जी
सूफी संत री दरगाह प्रसिद्ध अनासागर अजमेर जी
जोधपुर रो किलो भारी उम्मेद भवन मंडोर जी
उदयपुर झीलां की नगरी गढ़ लूंठो चितौड जी
सगळारौ शिरमौर म्हारो धौरावाळो देस जी।
हल्दीघाटी वीरां री भूमि विजय स्तम्भ गर्वीलो जी
तीर्थराज पुष्कर में नामी बिरमा जी रो मंदिर जी
आबू के पहाङां में ऊँचो दिलवाडा रो मंदिर जी
उदयपुर में एकलिंगजी गणपति जी रणथम्बोर जी
सगळारौ शिरमौर म्हारो धौरावाळो देस जी।
कोलकत्ता
१४ जून,२०११
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )