Saturday, June 18, 2011

बेटा और बेटी

बेटा 
जब बड़ा
 हो कर आसमान में
     उड़ान भरता है 
तो माँ-बाप
सोचते है
 काश !
आसमान थोडा
   और ऊँचा होता। 

बेटी
जब बड़ी
हो कर पँख
 फङफङाती है तो 
 माँ - बाप
 सोचते है
 काश !
घर की दीवारे
 थोड़ी और ऊँची होती।

कोलकत्ता
१७ जून, २०११ 

[ यह कविता "एक नया सफर " पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]

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