बेटा
जब बड़ा
हो कर आसमान में
उड़ान भरता है
हो कर आसमान में
उड़ान भरता है
तो माँ-बाप
सोचते है
काश !
सोचते है
काश !
आसमान थोडा
और ऊँचा होता।
और ऊँचा होता।
बेटी
जब बड़ी
हो कर पँख
फङफङाती है तो
हो कर पँख
फङफङाती है तो
माँ - बाप
सोचते है
काश !
सोचते है
काश !
घर की दीवारे
थोड़ी और ऊँची होती।
कोलकत्ता
थोड़ी और ऊँची होती।
कोलकत्ता
१७ जून, २०११
[ यह कविता "एक नया सफर " पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]
[ यह कविता "एक नया सफर " पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]
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