तुमको सत-सत
नमन
नमन
तुम तो अनेक के
जीवन दाता बन कर
अमर हो गए
तुमने आँखे देकर
किसी को दृष्टी दी
अपना दिल देकर
किसी को धड़कने दी
अपने फेफड़े देकर
किसी को सांसे दी
गुर्दे देकर किसी को
जीवन की आशाएं दी
गुर्दे देकर किसी को
जीवन की आशाएं दी
हे महादानी
हे गुप्तदानी
हम सब ऋणी
रहेंगे तुम्हारे
सदा-सदा के लिए
जाओ अब तुम
महाप्रयाण करो
स्वर्ग में निवास करो
देखो सभी देवता
तुम्हारे स्वागत
के लिए खड़े हैं
अप्सराऐं
तुम्हारे लिए फूलों की
वर्षा कर रही है
अलविदा महादानी
अलविदा जीवनदानी।
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
beautiful.......
ReplyDeletevery nice..... :)
ReplyDeleteit is a lovely poem!!
ReplyDeleteHATS OFF!!
ReplyDeleteA GREAT POEM!!
I REALLY LOVED IT!!
AMAR....a true meaning...
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