सावन का महीना होगा
गाँव का घर होगा
मिट्टी के आँगन में
तुम्हारी पाजेब की रुनझुन
सुनेंगे किसी दिन
सुनेंगे किसी दिन
लहलहाती फसले होंगी
हवाओं में खुशबू होगी
वर्षात में भीगते हुए
खेत में साथ-साथ
चलेंगे किसी दिन
चलेंगे किसी दिन
तारों भरी रात होगी
चाँद की गोद होगी
शबनमी रात में
तुम्हारी प्रणय राग
सुनेंगे किसी दिन
सुनेंगे किसी दिन
कश्मीर की वादियाँ होगी
केशर की क्यारियाँ होगी
कमल खिली झील में
साथ बैठ कर सैर
करेंगे किसी दिन
गोधुली बेला होगी
आरती का समय होगा
पास के मंदिर में जाकर
भगवान के सामने दीया
जलायेगें किसी दिन
खुशबू भरी शाम होगी
तुम मेरे पास होगी
जुगनू की कलम से
तुम्हारे लिए एक कविता
लिखेंगें किसी दिन।
[ यह कविता "एक नया सफर" में प्रकाशित हो गई है। ]
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