आज इन्सान की हँसी
लोप होती जा रही है
जैसे लोप होती जा रही है
नाना- नानी की कहानियाँ।
आज इन्सान का प्रेम
लोप होता जा रहा है
जैसे लोप होती जा रही है
चन्दा मामा की कहानियाँ।
आज इन्सान की करुणा
लोप होती जा रही है
जैसे लोप होती जा रही है
परियों की कहानियाँ।
आज इन्सान की शांति
लोप होती जा रही है
जैसे लोप होती जा रही है
राजा-रानी की कहानियाँ।
प्रगतिशील युग की तरफ
जाने के लिए इस तरह की
सीढियाँ तो नहीं हो सकती
फिर हम किधर जा रहे है ?
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आज इन्सान की शांति
लोप होती जा रही है
जैसे लोप होती जा रही है
राजा-रानी की कहानियाँ।
प्रगतिशील युग की तरफ
जाने के लिए इस तरह की
सीढियाँ तो नहीं हो सकती
फिर हम किधर जा रहे है ?
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