Friday, November 30, 2012

आयशा



आयशा आज आई आँगन में   
ले अनन्त खुशियाँ जीवन में 
 किलकारी से गूंजा हर कोना    
  चाँद सा मुखड़ा बड़ा सलोना    

   नन्ही परी जब से घर आई 
खुशियाँ दो परिवारो में छाई 
गुनगुन करके वो करती बात   
 फुल सी आयशा बनी सौगात    

नानीजी की गोदी जन्नत बनी  
      नानाजी की मुस्कान खिली      
रुनझुन दादाजी के मन में बसी      
नन्ही कली जैसी पलके खुली   

दादीजी के आँचल में सिमटेगी     
लोरियों की तान में खो जायेगी     
मम्मी- पापा की वो होगी प्यारी     
सब के सपनों की राजदुलारी   

मन की खुशियों को कैसे छुपाऊँ       
 कैसे आयशा  को गोद खिलाऊँ      
गोद खिलाने की चाह बहुत है   
      लेकिन हम तो दूर बहुत है    

सदा प्रभु का आशीर्वाद रहेगा     
खुशियों से भरा जीवन रहेगा   
    चाँद सितारे उम्र लिखेंगे
    गुलसन में अब फुल खिलेंगे।    

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