कहीं सुख का झरना बह रहा है
कहीं दुखों का पहाड़ टूट रहा है
कोई विजय का जश्न मना रहा है
कोई हार का मातम मना रहा है
जीवन की कैसी विडम्बना है ?
किसी के घर गीत गाये जा रहे है
किसी के शोक मनाया जा रहा है
कोई मँहगी कार में घूम रहा है
कोई नगें पाँव पैदल चल रहा है
जीवन की कैसी विडम्बना है ?
किसी का घर जगमगा रहा है
किसी के यहाँ अन्धेरा छा रहा है
कोई ऐ.सी. बँगले में सो रहा है
कोई फ़ुटपाथ दिन काट रहा है
जीवन की कैसी विडम्बना है ?
कोई फ़ाइव स्टार में खा रहा है
कोई जूठन में खाना ढूँढ रहा है
कोई सफलता पर झूम रहा है
कोई असफलता पर रो रहा है
जीवन की कैसी विडम्बना है ?
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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