एक नन्ही परी सी
गुलाब की कली सी
अपनी भाषा में कुछ बोलती
हँसती मुस्कराती मधु घोलती
एक नन्ही परी सी
मिसरी की डली सी
लघु पांवों पर खड़ी होती
पकड़ खाट थोड़ी सी चलती
एक नन्ही परी सी
प्यारी राजदुलारी सी
प्यारी राजदुलारी सी
घर में किलकारियां भरती
गोदी में अठखेलियाँ करती
एक नहीं परी सी
हँसती सूरजमुखी सी
अति कोमल नाजुक सी
अति कोमल नाजुक सी
भोली-भाली गुड़िया सी
एक नन्ही परी सी
प्यारी छुई-मुई सी
बाहर जाने को खूब मचलती
बाहर जाकर खुश हो जाती
एक नन्ही परी सी
कोई नहीं आयशा सी।
(राजश्री-मनीष की बेटी आयशा और मेरी लाडली पोती "नागड़ी " जो नौ महीने की हो गयी है। उसकी अठखेलियाँ देख कर कुछ लिखने का मन बना। )
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
अवश्य ललित जी मुझे ख़ुशी होगी। आपके आने का आभार।
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