Monday, September 2, 2013

एक नन्ही परी


एक नन्ही  परी सी 
गुलाब की कली सी
अपनी भाषा में कुछ बोलती 
हँसती मुस्कराती मधु घोलती

एक नन्ही परी  सी
मिसरी की डली सी
लघु पांवों पर खड़ी होती
पकड़ खाट थोड़ी सी चलती

एक नन्ही परी सी
प्यारी राजदुलारी सी 
घर में किलकारियां भरती
गोदी में अठखेलियाँ करती 
   
एक नहीं परी सी
हँसती सूरजमुखी सी
  अति कोमल नाजुक सी
  भोली-भाली गुड़िया सी

एक नन्ही परी सी
प्यारी छुई-मुई सी
बाहर जाने को खूब मचलती
 बाहर जाकर खुश  हो जाती

एक नन्ही परी सी
कोई नहीं आयशा सी।

(राजश्री-मनीष की बेटी आयशा और मेरी लाडली पोती "नागड़ी " जो नौ महीने की हो गयी है। उसकी अठखेलियाँ देख कर कुछ लिखने का मन बना।  ) 



[ यह कविता  "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]

1 comment:

  1. अवश्य ललित जी मुझे ख़ुशी होगी। आपके आने का आभार।

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