एक बरस की हुई आयशा
अब करती शैतानी है
अगड़म-बगड़म भाषा बोले
अगड़म-बगड़म भाषा बोले
हमें समझ नहीं आती है।
पानी उसको अच्छा लगता
बाथटब में नहाती है
बाथटब में नहाती है
फिर चाहे कितना बहलाओ
बाहर नहीं निकलती है।
बड़े शौक से झूला झूले
निचे नहीं उतरती है
पिज़ा,मैगी और पकौड़ी
बड़े चाव से खाती है।
छुपा-छुपी खेल खेलना
उसको प्यारा लगता है
उसकी इन अदाओं पर
सारा घर खुश हो जाता है।
सबकी प्यारी राजदुलारी
करती अपनी मनमानी
मम्मी आँख दिखा कहती
मम्मी आँख दिखा कहती
बंद करो अब शैतानी।
२८ नवम्बर २०१३ को प्यारी आयशा एक साल ki हो गयी।
Beautiful poem !!
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