देश का महानगर
वृहत्तर कोलकाता
जिसकी मुख्य सड़क
सेंट्र्ल ऐवन्यू का
एक नजारा
विवेकानन्द रोड क्रॉसिंग
छोटी-छोटी बच्चियों की
गोद में नंग धडंग बच्चे
भीख मांगते,फटेहाल
भूख से बिलबिलाते
दयनिय भाव से याचना करते
महात्मा गांघी रोड क्रॉसिंग
ताली पीटते,कमर मटकाते
वो लोग जिन्हे सरकार न तो
औरत समझती और न मर्द
आपकी सलामती की दुवाओ
के साथ हाथ फैलाकर याचना करते
बहु बाज़ार क्रॉसिंग
उम्र की ढलती साँझ में
टूटी हुयी,सताई हुयी वो औरते
जिन्हे चबा कर पिक की तरह
सड़क पर थूक दिया गया है
कात्तर स्वर में सहायता की याचना करती
चाँदनी चौक क्रॉसिंग
लकड़ी के पटरों पर घिसटते
लूले,लंगड़े,अंधे,अपाहिज
छालों और घावों का दर्द सहते
भूख से बिलखते सहायता के लिए
अल्लाह के नाम पर याचना करते
यह है मेरे प्रगतिशील भारत के
महानगर की एक तस्वीर
जिसे आप और हम
रोज सुबह-शाम
आते जाते देखते हैं
और बस देखते ही रहते हैं।
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
वृहत्तर कोलकाता
जिसकी मुख्य सड़क
सेंट्र्ल ऐवन्यू का
एक नजारा
विवेकानन्द रोड क्रॉसिंग
छोटी-छोटी बच्चियों की
गोद में नंग धडंग बच्चे
भीख मांगते,फटेहाल
भूख से बिलबिलाते
दयनिय भाव से याचना करते
महात्मा गांघी रोड क्रॉसिंग
ताली पीटते,कमर मटकाते
वो लोग जिन्हे सरकार न तो
औरत समझती और न मर्द
आपकी सलामती की दुवाओ
के साथ हाथ फैलाकर याचना करते
बहु बाज़ार क्रॉसिंग
उम्र की ढलती साँझ में
टूटी हुयी,सताई हुयी वो औरते
जिन्हे चबा कर पिक की तरह
सड़क पर थूक दिया गया है
कात्तर स्वर में सहायता की याचना करती
चाँदनी चौक क्रॉसिंग
लकड़ी के पटरों पर घिसटते
लूले,लंगड़े,अंधे,अपाहिज
छालों और घावों का दर्द सहते
भूख से बिलखते सहायता के लिए
अल्लाह के नाम पर याचना करते
यह है मेरे प्रगतिशील भारत के
महानगर की एक तस्वीर
जिसे आप और हम
रोज सुबह-शाम
आते जाते देखते हैं
और बस देखते ही रहते हैं।
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
No comments:
Post a Comment