अमेरिका में होली है
न कहीं साली का मजाक
लेकिन यह कैसी होली है ?
न कोई ढोलक
न कही मजीरे
न कहीं रंगोली
न कहीं रंगोली
न चौराहे पर होली है
फिर कैसी यह होली है ?
न कही भांग
न कही ठंडाई
न चंगो की थाप
न कोई अक्षत रोली है
फिर कैसी यह होली है ?
न कहीं साली का मजाक
न समधिन का मिलाप
न देवर की चुहल बाजी
न भाभी की ठिठोली है
फिर कैसी यह होली है ?
न गुझियों की महक
न हलवे की खुशबु
न गालों पर गुलाल
न कोई हमजोली है
न कोई हमजोली है
फिर कैसी यह होली है ?
अमेरिका में होली है
फिर यह कैसी होली है ?
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
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