जो भी हम से रूठ गये
या जो हमको छोड़ गये
आओ उनको आज मनाऐं
बड़े प्यार से गले लगाऐं
एक बार बाहों में भर कर
पुलकित हो कर कंठ लगाऐं
अपने मन का द्वेष हटा कर
फिर से उनको पास बैठाऐं
भूल हुयी जो उसे भुलाऐं
वर्त्तमान को सुखद बनाऐं
जीवन का है नहीं भरोसा
आने वाला पल क्या लाए
बैर भाव को मन से त्यागे
दया-क्षमा को फिर अपनाये
अपनत्व का भाव जगा कर
फिर से प्यार का दीप जलाऐें।
[ यह कविता "एक नया सफर" में प्रकाशित हो गई है। ]
या जो हमको छोड़ गये
आओ उनको आज मनाऐं
बड़े प्यार से गले लगाऐं
एक बार बाहों में भर कर
पुलकित हो कर कंठ लगाऐं
अपने मन का द्वेष हटा कर
फिर से उनको पास बैठाऐं
भूल हुयी जो उसे भुलाऐं
वर्त्तमान को सुखद बनाऐं
जीवन का है नहीं भरोसा
आने वाला पल क्या लाए
बैर भाव को मन से त्यागे
दया-क्षमा को फिर अपनाये
अपनत्व का भाव जगा कर
फिर से प्यार का दीप जलाऐें।
[ यह कविता "एक नया सफर" में प्रकाशित हो गई है। ]
No comments:
Post a Comment