Saturday, January 25, 2014

नये साल का नया सवेरा आया

नये साल का नया सवेरा आया
पूरब में सूरज की नयी लौ फूटी।

नये जमाने की हवा क्या चली
इज्जत आबरू सब टंग गयी खूंटी।

कलयुग में सच्चाई की बाते
लगती है वो बिलकुल झूटी।

जो केवल जीया अपने लिए
मौत भी रोई चूड़ियाँ भी टूटी।

जिंदगी उसकी तबाह हो गयी
अरमानो कि जो स्ती लूटी।

मिट्टी की एक प्यारी गुड़िया
गिरी हाथ से और टूटी।





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