नये साल का नया सवेरा आया
पूरब में सूरज की नयी लौ फूटी।
नये जमाने की हवा क्या चली
इज्जत आबरू सब टंग गयी खूंटी।
कलयुग में सच्चाई की बाते
लगती है वो बिलकुल झूटी।
जो केवल जीया अपने लिए
मौत भी रोई चूड़ियाँ भी टूटी।
जिंदगी उसकी तबाह हो गयी
अरमानो कि जो स्ती लूटी।
मिट्टी की एक प्यारी गुड़िया
गिरी हाथ से और टूटी।
पूरब में सूरज की नयी लौ फूटी।
नये जमाने की हवा क्या चली
इज्जत आबरू सब टंग गयी खूंटी।
कलयुग में सच्चाई की बाते
लगती है वो बिलकुल झूटी।
जो केवल जीया अपने लिए
मौत भी रोई चूड़ियाँ भी टूटी।
जिंदगी उसकी तबाह हो गयी
अरमानो कि जो स्ती लूटी।
मिट्टी की एक प्यारी गुड़िया
गिरी हाथ से और टूटी।
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