Saturday, June 28, 2014

मेरा लिखा सार्थक हो जाता है

वह शब्दों मे लिखे

रूपकों और अलंकारों को 
भले ही ना समझे 
लेकिन मेरा लिखा 
जब वह पढ़ती है 
उसकी आँखें चौड़ी हो जाती है 
माथे पर गर्व,
आँखों में प्रेम और 
चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल जाती है 
मुझे सबसे बड़ी दाद
उसी से मिल जाती है 
मेरा लिखा सार्थक हो जाता है।  

No comments:

Post a Comment