वह शब्दों मे लिखे
रूपकों और अलंकारों को
भले ही ना समझे
लेकिन मेरा लिखा
जब वह पढ़ती है
उसकी आँखें चौड़ी हो जाती है
माथे पर गर्व,
आँखों में प्रेम और
चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल जाती है
मुझे सबसे बड़ी दाद
उसी से मिल जाती है
मेरा लिखा सार्थक हो जाता है।
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