६ जुलाई २०१४
असाढ शुक्ल पक्ष नवंमी
रविवार का वह मनहूस दिन
असाढ शुक्ल पक्ष नवंमी
रविवार का वह मनहूस दिन
जब तुमने महाप्रयाण किया
उस दिन से मेरी जिंदगी
कभी ख़त्म न होने वाली
एक अमावस की रात
बन कर रह गयी
आसमान में
लाखों तारे आज भी
टिमटिमा रहे हैं लेकिन
मेरे जीवन में अब
मेरे जीवन में अब
पूनम का चाँद
कभी नहीं चमकेगा।
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