Thursday, July 13, 2017

एक कहानी का अन्त

चिता पर
लाया हुवा सारा सामान
रख दिया गया
चन्दन की लकड़ियों पर
घी उड़ेल दिया गया
चिता के चारों गिर्द घूम
पानी का मटका भी
फोड़ दिया गया
बेटे ने लकड़ी जला
मुखाग्नि भी दे दी
कल ठंडी पड़ी आग से
बची-खुची हड्डियां भी
इकट्ठी कर
गंगा को समर्पित हो जाएंगी।

और इसी के संग
भस्म हो जाएंगी
मेरे जीवन की सभी आशाएं
अंत हो जाएगा
एक कहानी का
जो पूरी लिखी जाने से
पहले ही दम तोड़ गई।

                                                      [ यह कविता "कुछ अनकहीं " में छप गई है।]


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