कहींअर्पण किया
कहीं तर्पण किया
कहीं डुबकी भी लगाई
आज मकर सक्रांति आई।
कहीं लोहड़ी मनाई
कहीं पोंगळ मनाई
कहीं बिहू भी मनाई
आज मकर सक्रांति आई।
कहीं खिचड़ा बनाया
कहीं चूँगापीठा खाया
कहीं पिन्नी भी बनाई
आज मकर सक्रांति आई।
सूर्य उत्तरायण को चले
भक्त गंगा- सागर चले
कहीं पतंग भी उड़ाई
आज मकर सक्रांति आई।
कहीं तर्पण किया
कहीं डुबकी भी लगाई
आज मकर सक्रांति आई।
कहीं लोहड़ी मनाई
कहीं पोंगळ मनाई
कहीं बिहू भी मनाई
आज मकर सक्रांति आई।
कहीं खिचड़ा बनाया
कहीं चूँगापीठा खाया
कहीं पिन्नी भी बनाई
आज मकर सक्रांति आई।
सूर्य उत्तरायण को चले
भक्त गंगा- सागर चले
कहीं पतंग भी उड़ाई
आज मकर सक्रांति आई।
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