जुदा हो कर भी वो मेरे जहन में बसी है
विरह वेदना उसकी आज भी सत्ता रही है।
आँखें आज भी उसकी राह देख रही है।
हवा में उसके गुजरे पलों के नगमें घुले हैं
उसकी गुजरी हुई साँसें मिलने आ रही है।
हवा में उसके गुजरे पलों के नगमें घुले हैं
उसकी गुजरी हुई साँसें मिलने आ रही है।
याद करता नहीं फिर भी, याद आ रही है
उसकी याद में, नयनों से प्रीत बह रही है।
वो तो आज भी मेरी सांसों संग बसी हुई है
साँसों से ज्यादा तो उसकी यादें आ रही है।
जीवन की संध्या में, सारी खुशियां खो गई
यादों की पीड़ा मन्दाकिनी सी बह रही है।
यादों की पीड़ा मन्दाकिनी सी बह रही है।
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