आज बेटे की
शादी की सालगिरह है
बेटे ने बाप के पास आकर
प्रणाम करने की
जरुरत नहीं समझी
बहु ने भी रास्ते चलते
प्रणाम कर अपना
फर्ज निभा लिया है
शाम को होटल में
डिनर और केक काटाने का
प्रोग्राम बना
बेटे ने अपने दोस्त और
उसकी बहु को बुलाया
मुंबई से आई विजि को भी
आमंत्रित किया
लेकिन नहीं कहाँ
बेटे ने बाप को कि
आज चलना होटल में
सभी साथ खाना खाएंगे
और केक काटेंगे
बाप अकेला घर पर था
सोच रहा था कि क्या कल
इसके बेटे भी इसके साथ
यही व्यवहार करेंगे ?
क्या उसे भी इतना ही दर्द होगा
जितना आज मुझे हो रहा है ?
लेकिन दूसरे ही क्षण
बाप ने माथे को झटक दिया
नहीं नहीं उन्हें इतना दर्द नहीं होगा
क्योंकि उन्होंने जितना दिया है
उतना ही तो मिलेगा।
शादी की सालगिरह है
बेटे ने बाप के पास आकर
प्रणाम करने की
जरुरत नहीं समझी
बहु ने भी रास्ते चलते
प्रणाम कर अपना
फर्ज निभा लिया है
शाम को होटल में
डिनर और केक काटाने का
प्रोग्राम बना
बेटे ने अपने दोस्त और
उसकी बहु को बुलाया
मुंबई से आई विजि को भी
आमंत्रित किया
लेकिन नहीं कहाँ
बेटे ने बाप को कि
आज चलना होटल में
सभी साथ खाना खाएंगे
और केक काटेंगे
बाप अकेला घर पर था
सोच रहा था कि क्या कल
इसके बेटे भी इसके साथ
यही व्यवहार करेंगे ?
क्या उसे भी इतना ही दर्द होगा
जितना आज मुझे हो रहा है ?
लेकिन दूसरे ही क्षण
बाप ने माथे को झटक दिया
नहीं नहीं उन्हें इतना दर्द नहीं होगा
क्योंकि उन्होंने जितना दिया है
उतना ही तो मिलेगा।
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