Monday, January 21, 2019

बरखा आई, बरखा आई

दादुर का टर-टर
कोयल की कू-कू
मोर का नाच
बरखा आई, बरखा आई।

दामिनि की दमक
धरती की महक
बादल की गरज
बरखा आई, बरखा आई।

निर्झर का झर-झर
पत्तों का मर्मर
बूंदों का रिम-झिम
बरखा आई, बरखा आई।

सरिता का कल-कल
अलि का गुन-गुन
पक्षी का कलरव
बरखा आई, बरखा आई।


NO 

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