ना तुमको ऑफिस जाना है
ना मुझ को जल्दी उठना है
दोनों मिल कर काम करेंगे
अब घर में ही तो रहना है।
तुम उठ करके चाय बनाना
चाय बना कर मुझे उठाना
मैं जब पुजा - पाठ करूंगी
झाड़ू - पौंछा तुम कर लेना।
नल से तुम पानी भर लेना
कपड़े सारे फिर धो लेना
मैं दोपहर में जब सोऊंगी
चौका-बर्तन तब कर लेना।
मुझको जूस बना कर देना
तुम थोड़ा काढ़ा पी लेना
कैसे लगता दाल में तड़का
इसकी ट्रेनिंग मुझ से लेना।
संयम से अब घर में रहना
सभी काम हिलमिल करना
कोरोना का खतरा बड़ा है
घर से बाहर नहीं निकलना।
ना मुझ को जल्दी उठना है
दोनों मिल कर काम करेंगे
अब घर में ही तो रहना है।
तुम उठ करके चाय बनाना
चाय बना कर मुझे उठाना
मैं जब पुजा - पाठ करूंगी
झाड़ू - पौंछा तुम कर लेना।
नल से तुम पानी भर लेना
कपड़े सारे फिर धो लेना
मैं दोपहर में जब सोऊंगी
चौका-बर्तन तब कर लेना।
मुझको जूस बना कर देना
तुम थोड़ा काढ़ा पी लेना
कैसे लगता दाल में तड़का
इसकी ट्रेनिंग मुझ से लेना।
संयम से अब घर में रहना
सभी काम हिलमिल करना
कोरोना का खतरा बड़ा है
घर से बाहर नहीं निकलना।
( यह कविता स्मृति मेघ में प्रकाशित हो गई है। )