तुम मुझे अकेला छोड़, बिना कहे चली गई
मेरा जीवन वीरान हो गया, बताओ क्या करूँ ?
रातों में तन्हा बैठा, तुम्हारी बातें याद करता हूँ
उजड़ गया ख्वाबों का चमन, बताओ क्या करूँ ?
तुम्हारी बातें, तुम्हारे हंसी, सभी याद आती है
दिल से नहीं निकलती यादें, बताओ क्या करूँ ?
तुम्हारी यादों का झोंका, जकड लेता है मुझे
अब कैसे बुझाऊँ तुम्हारी, बिछोह की आग को
नहीं लिखा किसी किताब में, बताओ क्या करूँ ?
मेरा जीवन वीरान हो गया, बताओ क्या करूँ ?
रातों में तन्हा बैठा, तुम्हारी बातें याद करता हूँ
उजड़ गया ख्वाबों का चमन, बताओ क्या करूँ ?
तुम्हारी बातें, तुम्हारे हंसी, सभी याद आती है
दिल से नहीं निकलती यादें, बताओ क्या करूँ ?
तुम्हारी यादों का झोंका, जकड लेता है मुझे
नम हो जाती है मेरी आँखें, बताओ क्या करूँ ?
तुम्हारी यादें जगाती है, तुमसे मिलने की प्यास
कैसे कटेगी मेरी यह जिंदगी, बताओ क्या करूँ ?
कैसे कटेगी मेरी यह जिंदगी, बताओ क्या करूँ ?
अब कैसे बुझाऊँ तुम्हारी, बिछोह की आग को
नहीं लिखा किसी किताब में, बताओ क्या करूँ ?
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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