Monday, August 23, 2021

गुलदस्ता

सबकी  प्रशंसा की  भूख  बढ़ गई 
परिवार  वालों से   दूरिया बढ़ गई 
वाह वाह कहने वाले रिश्ते जो बने 
खून के  रिश्तों में  दरारे  पड़ गई। 

प्रभु ने हम सब को इन्शान बनाया 
हमने नए धर्म और पंथ को चलाया 
अपने-अपने धर्म को श्रेष्ठ बता कर
फिर एक दूजे को काफिर बताया। 

जो आया है उसे  एक दिन जाना है 
कागज़ की नाव को तो डूब जाना है  
रोज मरने वालों को हम देख रहें हैं 
फिर भी हमने इसे नहीं पहचाना है।

दिन भर मोबाईल पर चैट करते हैं 
हर समय उसको साथ में  रखते हैं 
रेडिएशन से बिमारियाँ  बढ़ रही है 
फिर भी सभी लापरवाही करते हैं।  


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