Saturday, December 16, 2023

गंगा की लहरों में समा गया

जेठ-आषाढ़ की गर्मियों  में
सत्संगी चले आते 
अपने परिवार के संग 
शांति की खोज में
एकांत तपोवन 
मुनि की रेती 
ऋषिकेश में

जहाँ पहाड़ियों की कोख में 
कलकल बहती गंगा 
सरसराती ठंडी हवा 
वृक्षों पर चहकते पंछी 
निः शब्द वातावरण में 
गूंजते प्रभु के गान 

सभी लगाते ध्यान 
करते प्रभु गुणगान 
बना खिचड़ी मिटाते क्षुधा 
रात में सो जाते गंगा किनारे 
आनंद की लहरे लेती हिलोरें 

देखत ही देखते 
सब कुछ बदल गया 
शहरी सभ्यता ने 
उथल-पुथल मचा दी 
सुख-सुविधा की सारी सामग्री 
मनोरंजन का सारा सामान 
जंगल में अमंगल करने 
आ गया 

पहाड़ों की कोख में 
छिपी शांति गायब हो गई 
पंछियों का कलराव
पत्तों की गुफ्तगू 
वृक्षों का प्रेमालाप 
प्रभु गुणगान 
सब कुछ गंगा की लहरों में 
समा गया।  




Saturday, May 13, 2023

तुम एक बार आ जाओ ना

पपीहा बोले वर्षा ऋतु आई 
यादें तुम्हारी घटा बन छाई 
तुम मेघा बन कर मुझ पर 
रिमझिम प्यार लुटा दो ना 
तुम एक बार आ जाओ ना। 

बिना तुम्हारे रह न सकूंगा 
प्रीति रस में बह न सकूंगा 
तुम चूनर ओढ़ सितारों की 
शुभ चूड़ियां खनका दो ना 
तुम एक बार आ जाओ ना। 

मैं तड़पूँ ज्यों धन में बिजुरी 
या जैसे हो जल बिन मछरी 
तुम अपने तन की खुशबू से 
मेरा  तन-मन महका दो ना
तुम एक बार आ जाओ ना। 

जीवन को पतझड़ ने घेरा 
गम का बढ़ने लगा अँधेरा 
तुम मेरे सुने मन मन्दिर में  
कोई सुन्दर राग छेड़ दो ना 
तुम एक बार आ जाओ ना। 








Friday, May 12, 2023

खुद ही बनना है खैवया

जीवन के इस रंगमंच पर 
मिलना और बिछुड़ना है,
         अपना अभिनय पूरा कर  
          वापिस सब को जाना है।

खाली  हाथ सभी आये हैं  
खाली  हाथ चले जाना  है,
       दुनियाँ  केवल रैन बसेरा 
        झूठा मन ही भरमाना है। 

सूरत गोरी हो या काली 
राख  सभी  को होना है, 
         जीवन के इस सफर में 
         मौत मुसाफिर खाना है।  

दुःख-सुख जीवन के साथी 
जीवन में संग-संग चलते हैं, 
       जन्म मृत्यु का खेल है सारा 
        आवागमन  यहाँ रहता  है।  

कोई नहीं  यहाँ  मेरा तेरा 
कोई नहीं  यहाँ  रह पाया, 
        अपने जीवन की नैया का 
          खुद ही बनना है खैवया। 




Friday, April 28, 2023

मौलश्री के फूलों सी यादें

आज मौसम बहुत सुहाना है
हल्की-हल्की बारिश हो रही है
तुम्हें बारिश बहुत पसद थी
मुझे भी पसंद है
.
हाथ थाम तुम्हारा
संग-संग भीगना चाहता था
बारिश में
जिंदगी का हर पल
बिताना चाहता था
तुम्हारे संग में
बहुत कुछ
अनकहा रह गया
हमारे तुम्हारे बीच में
.
गीले तकियों से
बिस्तर की सिलवटों तक
महसूस करता हूँ तुम्हें
हर पल अपने आस-पास
.
मगर नहीं व्यक्त कर पाता
अपने मन के भावों को
मौलश्री के फूलों सी
झरती रहती हैं यादें।

Thursday, April 20, 2023

थकान

 तेजी से 
दौड़ती सड़कें भी 
कभी-कभी रुक जाती है
पगडंडी के पास 
थकान मिटाने 

दो पैसा कमाने 
शहर गया प्रवासी भी 
कभी-कभी लौट आता है 
गांव के पास 
थकान मिटाने ।  

Saturday, April 15, 2023

मन को सुकून मिला

आपने आमाके किछु 
साहाज्यो कोरबेन' ? 
उस औरत ने पूछा 
जो सनसनाती हवा में 
पता नहीं कहाँ से आ गयी थी 
जब मैं एक मोड़ पर खड़ा था 

'आमार बेग केवु निये गेछ्ये 
आमि बाड़ी जेतै चाई'
'कितना' - मैंने पूछा 
'एक शो टाका'
और मैंने उसे एक सौ रुपया दे दिया 

वह मुस्कराई, धन्यवाद कहा 
आगे जाकर एक बार फिर 
मुड़ कर देखा 
क्या वह झूठ बोली 
क्या नाम था उसका 
मैंने किसी को राह चलते 
पहली बार सौ रुपया दिया 
खैर ! जो भी हो ( वह सुन्दर थी )
मन को सुकून मिला।   
 


Saturday, April 1, 2023

नहीं रहें अब वो दिन

मन्दिर में शीश नवाने के
सन्तों की बाणी सुनने के
गीता-रामायण पढ़ने के 
यज्ञों में आहुति देने के
नहीं रहें अब वो दिन ? 

माँ-बाप की सेवा करने के 
परिवार के संग में रहने के 
भाई संग भोजन करने के 
बच्चों को गोद खिलाने के 
नहीं रहें अब वो दिन ? 

सत्य मार्ग पर चलने के
फुरसत से बतियाने के 
राही को नीर पिलाने के 
पंछी को दाना देने के
नहीं रहें अब वो दिन ? 

सूर्योदय से पहले उठने के 
शील आचरण पालन के 
गुरुकुल में शिक्षा पाने के 
बड़ों को शीश नवाने के  
नहीं रहें अब वो दिन ? 












Friday, March 31, 2023

बोली में मिठास है रामराम की

मेरे पास न पहाड़ों के गीत 
न घाटियों और दर्रों के 
न नदियों और नाविकों के 
न सागर और मछुवारों के 
मैं तो मरुधरा का रहने वाला हूँ 
थोड़े से सुर है अलगोजों के
सांसों में महक है मिट्टी की 
थोड़ी सी छांव है खेजड़ी की 
बोली में मिठास है रामराम की।  



Tuesday, March 21, 2023

जय-जय गंगा मईया

पर्वतों को चूमती 
लहरों संग मचलती 
धरती को सींचती 
कलकल करती गंगा 
जब हरिद्वार में प्रवेश करती
कोटि-कोटि कण्ठों से गूंजता है  
जय-जय गंगा मईया। 




हर्पिस व्याधि

मैंने तो तुम्हें नहीं बुलाया 
न कभी तुम्हें पुकारा 
तुम्हीं भीगी बिल्ली की तरह 
चुपचाप आ घुसी मेरी पीठ में 
और बैठ गई जम कर।  

तुम बेहया हो 
तुम विषनागिनी हो 
तुमने जकड लिया मेरी पीठ को 
न जाने तुमने कितनों को 
अपने पंजों में जकड़ा होगा 
तुम ईर्ष्याग्रस्त हो
अत्याचार कर रही हो। 

मैं कहता हूँ 
तुम अभी भी चली जाओ 
वरना हम ऐसा करेंगे कि तुम्हें 
छठी का दूध याद आ जाएगा  
अभी भी समय है लौट जाओ 
हर्पिस लौट जाओ। 



Friday, March 10, 2023

जीवन के टूटते रिश्तों का दर्द

पिता लुटा देता जीवन भर की कमाई 
बेटे की पढ़ाई - लिखाई के लिए,
बेटा नहीं करता माँ-बाप की चिंता 
चला जाता विदेश कॅरियर बनाने के लिए।
चंद पैसे कमाते ही बेटा बोलने लगता 
क्या किया था आपने हमारे लिए,
आपके पास पांच रुपये नहीं होते थे 
हमें चॉकलेट खरीद कर देने के लिए। 

बेटी ससुराल की बातें बताने लगती पीहर में 
पीहर का दखल शुरू होता बेटी के लिए,
थोड़े दिन बाद ही हो जाता है मनमुटाव  
दोनों कर देते हैं केस अलगाव के लिए।

टूट जाते हैं रिश्ते छोटी छोटी बातों में
जो कसक देते रहते हैं जीवन भर के लिए,
जीवन का असली सुख तो परिवार के संग है 
धन तो केवल साधन है जीवन यापन के लिए। 
















Monday, March 6, 2023

उन्मन आँखें भर आई

फागुन आया मीत न आई  
बसन्त रह गया  सपनों में,
तस्वीर उसकी टँगी हुई है   
यादों की चार सलाखों में। 

बिन सजनी  जिया न लागे 
फाग का रंग न चढ़े मन में,   
तन की पीड़ा और बढ़ गई 
इस मौसम  की पुरवाई में।

कौन  मलेगा  रंग गालों पर 
कौन  भरेगा  अब  बाँहों में  
हंसी - ठिठोली  रीती  सारी 
बैरंग  हुवा  मन  फागुन  में। 

हमजोली  की चंचल  नजरें 
अब नहीं टकरेगी होली  में, 
रंग गुलाल उड़ेगा चहुँ दिसि 
पर  मजा  न होगा  होली में। 




Friday, March 3, 2023

बस्तियाँ जलती रही

जमीन को खाली कराने  
सरकारी फरमान निकला 
पुलिस बल साथ लेकर 
अस डी एम खुद निकला 

भीड़ चिल्लाती रही 
बुलडोज़र घरों को रौंदता 
आगे बढ़ता रहा 
औरतें छाती पीटती रही 
शासन बस्ती उजाड़ता रहा 

माँ-बेटी दौड़ी अन्दर 
बंद कर लिया दरवाजा 
बचाने अपना घर 
बाहर किसी ने लगादी आग 
धूं-धूं कर जलने लगा घर 

लपटे ऊँची उठने लगी 
माँ-बेटी जलती रही अन्दर  
आकाश सारा हो गया लाल 
आर्तनाद सुनाई देता रहा बाहर

भीड़ अपनी आवाज से 
आकाश पाताल एक करती रही  
सरकार के कानों जूं तक नहीं रेंगी  
जमीन खाली कराने बस्तियाँ जलती रही। 






Saturday, February 18, 2023

विश्वास

आज रात्रि में  
मैं  निडर हो कर सोउंगा 
क्योंकि मुझे कल जीना है 

कल सूर्य भी 
अपनी स्वर्णिम किरणों से 
वैसे ही स्वागत करेगा  
जैसे रोज करता है 

कल चमन में भी 
मधुमय फूलों की बहार 
वैसे ही खुशबु लुटायेगी 
जैसे रोज लुटाती है

कल हवा भी 
इतराती हुई, मेरे बदन को 
वैसे ही सहलाकर कर बहेगी 
जैसे रोज बहती है 

कल मेरा यार भी 
कॉफी की टेबल पर 
वैसे ही इन्तजार करेगा 
जैसे रोज करता है 

कल वे सब भी 
वैसे ही मेरे साथ होंगे 
जैसे रोज मेरे साथ होते है। 



Saturday, February 4, 2023

जन्म

माँ प्रसव पीड़ा झेलती 
कमरे में 
नया मेहमान 
आने की तैयारी में 

परिवार के सदस्य 
इन्तजार में 
पिता चहल कदमी करते 
गलियारे में 

मौत छिपी हुई माँ की 
चीख में 
नयी जिन्दगी बच्चे की 
किलकारी में। 





Friday, January 27, 2023

मेरे प्यारे देशवासियों

चुनावों के समय 
मतदाताओं को रिझाने के लिए 
राजनैतिक पार्टियों द्वारा 
अगणित प्रलोभनों की फसल 
तैयार की जाती है 

टेलीविजन के माध्यम से 
समाचार पत्रों के माध्यम से 
घोषणा पत्रों के माध्यम से 
उन्हें प्रचारित किया जाता है 

मतदाता इसमें फंस जाता है 
बच्चों की तरह लॉलीपोपों से 
खुश हो जाता है 

वह झूठे आश्वासनों को 
सच्चा मान लेता है 
पार्टियों के फैलाये जाल में
फंस जाता है 

पार्टियां चाहती हैं कि 
मतदाता पांच साल तक 
उनके इशारों पर नाचता रहे 
न उनकी गरीबी दूर हो 
न कोई उनका विकास हो 

ताकि वो कभी भी 
सिर उठा कर उनका 
प्रतिकार नहीं कर सके  

ओ ! मेरे प्यारे देशवासियों 
देश को आजाद हुऐ 
पचहतर साल हो गए 
मगर तुम आज भी सोये हुए हो 

उठो जागो ! 
तुम में साहस है
तुम में योग्यता है 
तुम में कार्यकुशलता है  
इन झूठे प्रलोभनों में मत फंसो 
अपनी हक़ की लड़ाई लड़ो और जीतो। 


Wednesday, January 18, 2023

जिन्दगी तो हर कदम पर

जिंदगी तो कदम-कदम पर संघर्ष करती है 
मगर जीने की तमन्ना, मरने भी नहीं देती है। 

जिंदगी तो केवल, दिवास्वपन ही दिखाती है 
चैन की नींद तो सदा, मौत ही देकर जाती है।

हम सदा हथेली पर, दीया लेकर चल रहें हैं। 
तूफ़ान के झोंके पर टिकी जिंदगी जी रहें हैं। 

कोई छोटी जिंदगी में, इतिहास बना जाता है 
कोई बरसों जी कर भी, अज्ञात चला जाता है।  

जीवन तो नश्वर है, एक दिन तो चले जाना है  
धन-दौलत सभी छोड़, खाली हाथ ही जाना है। 






Tuesday, January 17, 2023

मेरी आत्मा में ---

गीता भवन का घाट 
कल-कल बहती गंगा 
किनारे से बंधी नाव 

मैं नाव में बैठा 
खो जाता हूँ 
तुम्हारी यादों में 
न जाने कितनी यादें 
बसी हैं  हमारी यहाँ 

मैं लहरों के संगीत पर 
गुनगुनाता हूँ 
नदी बसती चली जाती हैं 
मेरे होठों पर 

तुम्हारी मृदुल छवि का 
सुधि-सम्मोहन 
भरता चला जाता है 
मेरे मन में 

और तुम्हारी यादें 
बसती चली जाती है 
मेरी आत्मा में --- 





Tuesday, January 10, 2023

बेटियां

अनजान से लव
जब से करने लगी हैं
35-50 टुकड़ों में 
कटने लगी हैं बेटियां।

परंपरा की चौखट
जब से लांघने लगी हैं  
नालों में यहां-वहां 
मिलने लगी बोटियां।

चार अक्षर पढ़ कर 
परिवार को नासमझ 
खुद को ही समझदार 
समझने लगी बेटियां।

लव- इन रिलेशन में 
जब से रह ने लगी हैं 
दरिंदों के हाथों
जान गंवा रही बेटियां।

थमो-रुको, ज़रा सोचो 
अगर तुम्हें प्यार हैं  
तो पहले सच्चे प्यार की 
पहचान करो बेटियां।

Sunday, January 1, 2023

प्रयास तो करो

जिंदगी में 
अगर आगे बढ़ना है 
तो नया कुछ करने से 
डर कैसा ?

जीवन में जीत-हार 
तो सदा मिलती रही है 
जीत जहां सफलता है 
हार वहाँ सीख है। 

हिम्मत के साथ 
नई शुरूआत करो 
जीवन तो खेल ही 
खतरों का है। 

क्या खतरों के डर से 
लड़ना छोड़ दोगे 
क्या मौत के डर से 
जीना छोड़ दोगे  ?

सदा सकारात्मक सोच 
के साथ आगे बढ़ो 
सफलता कदम चूमेगी 
मन में यह विश्वास रखो।