इतिहास
बहुत पढ़ चुके
बहुत पढ़ चुके
अब इसे पढ़ना छोड़ो
और स्वयं इतिहास का
सर्जन करो
जिससे
आने वाली पीढ़ी
आने वाली पीढ़ी
पढ़ कर तुम पर
गर्व कर सके
जिंदगी तो
बिखरे दानो की तरह है
कुछ तो पंछी चुन गए
कुछ शेष बची है
कहीं ऐसा न हो कि
घर आया इतिहास का मेहमान
तुम्हारे यहाँ से
घर आया इतिहास का मेहमान
तुम्हारे यहाँ से
खाली हाथ चला जाए
और तुम्हारा नाम
इतिहास के सुनहरे पन्नों पर
अंकित होने से ही रह जाए।
अंकित होने से ही रह जाए।
सेन डिएगो (अमेरिका )
२९ दिसम्बर, २००८
२९ दिसम्बर, २००८