तुम्हारे साथ अब कुछ भी नामुमकिन सा नहीं लगता
अब तो आसमान के तारों को गिनने का भी मन बन गया है।
आज कल न जाने क्यों सब कुछ ख़ास सा लगता है
चीजे तो वही है लेकिन जीने का मजा आ गया है।
कभी चाहत थी हर ख़ुशी मेरी हो
लेकिन तुम्हारा साथ पा कर बाँटना आ गया है।
अब शब्दो का इस्तेमाल क्यों करे हम
जब आँखों से सब कुछ कहना आ गया है।
प्यार तो सभी करते है लेकिन
हमें कर के निभाना आ गया है।
तुम्हारा मुस्कराना और मेरी झुकती आँखों का सलाम
पचास वर्ष साथ जीने का मजा आ गया है।
हीर-राँझा की जगह हमारे प्यार की चर्चाऐ हैं
तुम्हारी सांसो की महक से हवाओं का रुख बदल गया है।
(हमारी शादी के पचास वर्ष २० मई २०१४ को पुरे हो रहे हैं, इसी ख़ुशी में वेलेनटाइन डे पर शब्दो के कुछ फूल मैंने उसकी झोली में रखे )
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
हमें कर के निभाना आ गया है।
तुम्हारा मुस्कराना और मेरी झुकती आँखों का सलाम
पचास वर्ष साथ जीने का मजा आ गया है।
हीर-राँझा की जगह हमारे प्यार की चर्चाऐ हैं
तुम्हारी सांसो की महक से हवाओं का रुख बदल गया है।
(हमारी शादी के पचास वर्ष २० मई २०१४ को पुरे हो रहे हैं, इसी ख़ुशी में वेलेनटाइन डे पर शब्दो के कुछ फूल मैंने उसकी झोली में रखे )
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
कल 17/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
धन्यवाद यशवंत जी।
ReplyDeleteशादी के स्वर्ण जयन्ती की बधाई और शुभकामनाएं . खुबसूरत शब्दों में अपने जीने की अंदाज का बयां किया है !
ReplyDeletelatest post प्रिया का एहसास
बहुत बहुत धन्यवाद भाई काली प्रसाद जी। मेरे पोस्ट पर आने के लिए आपका स्वागत।
ReplyDeleteतुम्हारे साथ कुछ भी नामुमकिन सा नहीं लगता
ReplyDeleteअब तो आसमान के तारो को गिनने का भी मन बन गया है।
बधाई !!
बहुत-बहुत आभार आपका भाई सतीश जी।
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