सतरंगी बौछारें लेकर, रंगीली होली आई
रंग, अबीर और गुलाल, उड़ाती होली आई
हूरियारों की टोली, जब रंग ले कर आई
[ यह कविता 'कुछ अनकही ***"में प्रकाशित हो गई है ]
बासंती वसुंधरा देख, मुझे तुम याद आई।
रंग, अबीर और गुलाल, उड़ाती होली आई
होली के रंग -चंग देख, मुझे तुम याद आई।
प्रेम रंग की भर पिचकारी, लेकर होली आई
कोयल की मल्हार सुन, मुझे तुम याद आई।
प्रेम रंग की भर पिचकारी, लेकर होली आई
कोयल की मल्हार सुन, मुझे तुम याद आई।
हूरियारों की टोली, जब रंग ले कर आई
हाथों में गुलाल देख, मुझे तुम याद आई।
राग-रंग और चुहलबाजी, लेकर होली आई
सात रंग और सात स्वर, लेकर होली आई
राग-रंग और चुहलबाजी, लेकर होली आई
फिजा में बिखरे रंग देख, मुझे तुम याद आई।
रंग भरी पिचकारी देख, मुझे तुम याद आई।
[ यह कविता 'कुछ अनकही ***"में प्रकाशित हो गई है ]
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