आठ महीने हो गए तुमसे बिछुड़े हुए नहीं लगता कि इस जीवन में
तुम से फिर कभी मिल सकूँगा
कितनी हसीन थी हमारी जिंदगी
रिमझिम बरसता सावन
रंग-गंध वाला बसंत
फूलों वाली चैती हवाए
कितना कुछ जीया हमने साथ-साथ
कितना कुछ जीया हमने साथ-साथ
चाँदी सी मोहक अदाएं
चन्दन सा आकर्षण
दीप सी दमकती आभा
कोयल सी आवाज
कितना कुछ था तुम्हारे पास मुझे देने
तुम मेरे लिए ईश्वर के किसी
आशीर्वाद से कम नहीं थी
जिन्ह लम्हों में तुम मेरे साथ थी
मैंने तो उसी में जिंदगी को जी लिया था
तुम मेरे लिए ईश्वर के किसी
आशीर्वाद से कम नहीं थी
जिन्ह लम्हों में तुम मेरे साथ थी
मैंने तो उसी में जिंदगी को जी लिया था
[ यह कविता "कुछ अनकहीं " में छप गई है।]
कोलकाता
६ मार्च, २०१५
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