आज जब
तुम मेरे संग नहीं हो
तुम्हारे संग-संग बिताये
लम्हों की यादें ही
मेरा एक मात्र सहारा है।
मैं चाहता हूँ
उन यादों को
अपने जीवन में
सहेज कर रखूं
कविता और गीतों
के माध्यम से
उन्हें संजो कर रखूं
जब तुम
पराजगत में मिलोगी
मैं उन्हें रखूंगा
तुम्हारी हथेलियों पर
अदा करूंगा
तुम्हारा शुक्रिया
उन पलों के लिए
जो पल तुमने मेरे नाम किये।
तुम मेरे संग नहीं हो
तुम्हारे संग-संग बिताये
लम्हों की यादें ही
मेरा एक मात्र सहारा है।
मैं चाहता हूँ
उन यादों को
अपने जीवन में
सहेज कर रखूं
कविता और गीतों
के माध्यम से
उन्हें संजो कर रखूं
जब तुम
पराजगत में मिलोगी
मैं उन्हें रखूंगा
तुम्हारी हथेलियों पर
अदा करूंगा
तुम्हारा शुक्रिया
उन पलों के लिए
जो पल तुमने मेरे नाम किये।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )