तुम
बदली बन बरसती रही
करती रही प्यार की बरसात
सभी पर।
बदली बन बरसती रही
करती रही प्यार की बरसात
सभी पर।
तुम
फूल बन महकती रही
बिखेरती रही प्यार की खुशबू
सभी पर।
तुम
लोरी बन गाती रही
लहराती रही प्यार का आँचल
सभी पर।
तुम
किरण बन चमकती रही
लुटाती रही चांदनी
सभी पर।
तुम
ममता की मूरत बन झरती रही
बहाती रही स्नेह की धारा
सभी पर।
[ यह कविता 'कुछ अनकही ***"में प्रकाशित हो गई है ]